Monday, August 19, 2013

रक्षाबंधन

       रक्षा बंधन
 कच्चे धागों का बंधन ,
मन के भावों का वंदन ।
अमर उद्गारों का अर्पन ,
अटल वचनों  का दर्पन ।
चंदा और किरन सा रक्षाबंधन ।
नृप सम्राट देव , बंध गये ,
इन धागों के बंधन में ।
बंध गया गोरी भी ,
संयोगिता की राखी में ।
बंधे कृष्ण द्रोपदी की चीर में ,
दीपक और ज्योति सा  रक्षाबंधन ।
रक्तिम रक्त की कहानी ,
कच्चे धागों की जुबानी ।
रिश्तों की अटूट कड़ियाँ ,
निर्वाहों का अजब सिलसिला ,
प्राणों की देकर आहुति ,
भाई निज कर्त्तव्य निभाते ।
आन मान शान सा  रक्षाबंधन ।
दिन रैन देव प्रतिमा से ,
बहन भी दुआएं मांगे ।
पग कंटक न आये कभी ,
उम्मीदों के सुमन खिले ।
नन्हे भैया का मुखड़ा ,
जैसे गगन में चाँद सलोना ।
अग्रज की बातें न्यारी ,
 घनी धुप में छांव सी प्यारी ,
बदली और पवन सा   रक्षाबंधन ।


         अर्चना प्रकाश 

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