Sunday, November 21, 2010

Beete Lamhe

बीते लम्हें
बीते लम्हों को याद करो
शायद कुछ कहना बाकी है
रिश्तों को समझना बाकी है ,
कुछ और निखरना बाकी है
है उलझे नयन उमंग भरे ,
चाहत की सरगम गूंज रही
अधरों की प्यास बढ़ी जाती,
सांसे कुछ ऐसा बता रहीं
बंधन का बिखरना बाकी है,
टूटे न कभी मोती मन के ,
सारे वर्णों से प्रीती झरे
सुखद सेज यामिनी बने ,
दिग दिगंत में प्रेम भरे
नयनों का छलकना बाकी है ,
किसके हाथों चित्र बने ,
किसने ये रंग अनेक भरे
हर चित्र में हर रंगों में ,
छवि प्यारी बस एक बनी
कुछ और संवरना बाकि है
कण कण में आस नवीन जगी ,
सतरंगी सपनें जाग उठे ,
मदमाती बयार बहे
कुछ और बहकना बाकी है ,
बीते लम्हों को याद करो ,
शायद कुछ कहना बाकी है

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