Sunday, November 21, 2010

Beete Lamhe

बीते लम्हें
बीते लम्हों को याद करो
शायद कुछ कहना बाकी है
रिश्तों को समझना बाकी है ,
कुछ और निखरना बाकी है
है उलझे नयन उमंग भरे ,
चाहत की सरगम गूंज रही
अधरों की प्यास बढ़ी जाती,
सांसे कुछ ऐसा बता रहीं
बंधन का बिखरना बाकी है,
टूटे न कभी मोती मन के ,
सारे वर्णों से प्रीती झरे
सुखद सेज यामिनी बने ,
दिग दिगंत में प्रेम भरे
नयनों का छलकना बाकी है ,
किसके हाथों चित्र बने ,
किसने ये रंग अनेक भरे
हर चित्र में हर रंगों में ,
छवि प्यारी बस एक बनी
कुछ और संवरना बाकि है
कण कण में आस नवीन जगी ,
सतरंगी सपनें जाग उठे ,
मदमाती बयार बहे
कुछ और बहकना बाकी है ,
बीते लम्हों को याद करो ,
शायद कुछ कहना बाकी है

Tuesday, November 16, 2010

कोई बात करें

कोई बात करें

आओ कोई बात करें
दूरियों में
निकटता का
एहसास करें, ,
अपनेपन की ,
उजास ले ,
सूनेपन को
मात करे |
आओ ऐसी रात गढ़े |
विवशता में
सम्बल का
द्रिढ़ भाव भरे |
अनंगी चाहतों
का
परित्याग करें ,
आओ कोई कथ्य कहें |
मधुमय गीतों
के राग कहें |
सुखद स्वप्न
साकार करें |
वियोग में ,
संयोग का
आभास करें
आओ कोई बात करें |
द्वारा --- अर्चना प्रकाश
००२, रोयल ब्लाक, एल्डिको ग्रीन अपार्टमेंट्स , गोमती नगर ,लखनऊ