Friday, July 30, 2010

कृष्ण
आके ब्रज में कृष्ण जी , वंशी बजा कर चल दिए
अपने भक्तों की बिगड़ी बना कर चल दिए
आके ब्रज में कृष्ण जी , वंशी बजा कर चल दिए

सारा मथुरा नगर जब कंस से पीड़ित हो गया,
जन्म प्रभु ने लिया उसको मिटा कर चल दिए
अपने भक्तों की बिगड़ी बना कर चल दिए
आके ब्रज में कृष्ण जी , वंशी बजा कर चल दिए

यमुना मैया जब विष से व्याकुल हो गयीं ,
गेंद का कर के बहाना, काली मर्दन किया और चल दिए
अपने भक्तों की बिगड़ी बना कर चल दिए
आके ब्रज में कृष्ण जी , वंशी बजा कर चल दिए

अति वर्षा से जब ब्रज में हाहाकार मचा,
मुस्कराए प्रभु गोवर्धन उठाकर हंस दिए
अपने भक्तों की बिगड़ी बना कर चल दिए
आके ब्रज में कृष्ण जी , वंशी बजा कर चल दिए

नारि जब गौतम ऋषि की शापवश पत्थर बनी,
चरण-राज उसको छुआ स्त्री बना कर चल दिए
अपने भक्तों की बिगड़ी बना कर चल दिए
आके ब्रज में कृष्ण जी , वंशी बजा कर चल दिए

भारी सभा में द्रोपदी का, चीरहरण जब हो रहा,
आये प्रभु जी लाज बचके, चिर बढ़ा के चल दिए
अपने भक्तों की बिगड़ी बना कर चल दिए
आके ब्रज में कृष्ण जी , वंशी बजा कर चल दिए

मित्र सुदामा जब घोर विपदा से घिरे ,
खाए तंदुल धनवान बना ,मित्रता निभाकर चल दिए
अपने भक्तों की बिगड़ी बना कर चल दिए
आके ब्रज में कृष्ण जी , वंशी बजा कर चल दिए

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