सावन ऋतु आए, मैया मेहँदी लगाये ,
रचि रचि मेहँदी जग को रिझाये
मैया की मेहँदी कबहूँ न छूटे,
मेहँदी के रंग त्रिदेव निखारे
सावन ऋतु आए मैया मेहँदी रचाए
मेहँदी की पत्ती शिव शंकर तोड़े,
ब्रहम्मा जी मेहँदी चन्दन सी पीसें ,
विष्णु जी मैया को मेहँदी लगायें
सावन ऋतु आए मैया मेंहदी लगाये
दाहिनी हथेली शिव शम्भू ने पकड़ी,
चुनी चुनी मेहँदी त्रिशूल बनायें
सावन ऋतु आए मैया मेहँदी लगाये
बांयी हथेली ब्रहम्मा ने पकड़ी ,
रूचि रूचि मेहँदी कमल बनायें
सावन ऋतु आए मैया मेहँदी लगाये।
दोउ चरण विष्णु जी ने पकडे,
रूचि रूचि पावों में चक्र बनाये।
सावन ऋतु आए मैया मेहँदी रचाए।
Thursday, July 29, 2010
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